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26 दिसम्बर
2019
पाप का मूल है क्रोध

क्रोधी व्यक्ति हमसे सदैव वैसे ही दूर रहें जैसे पक्षियों को उड़ा देने से वे बहुत दूर चले जाते हैं क्योंकि क्रोधी व्यक्ति के पास रहने से स्वभाव उल्टा हो जाता है और धर्म की हानि होती है । ( ऋग्वेद १/२५/४ ) काम, क्रोध और लोभ आत्मा का नाश करने वाले तीन शरीर के

3 दिसम्बर
2019
आलस्य के परित्याग से इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति सम्भव

जो जागृत हैं, आलस्य और प्रमाद से सदैव सावधान रहते हैं उन्हीं को इस संसार में ज्ञान विज्ञान प्राप्त होता है । उन्हीं को शान्ति मिलती है, वे ही महापुरुष कहलाते हैं । ( ऋग्वेद ५/४४/१४ ) जो व्यक्ति जागृत है वह हमेशा सतर्क रहता है । “उत्तिष्ठत जागृत प्राप्य बरान्निबोधत”, उठो, जागो और जब