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31 जनवरी
2020
“परमात्मा” ही सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं

विद्वान तथा बुद्धिमान लोग अपने ज्ञान से, चिंतन-मनन और अनुभव से यह जानते हैं कि हर पदार्थों में परमात्मा हैं। वही सम्पूर्ण जगत को आश्रय देता है। उसी से सारी सृष्टि प्रकट होती है । सभी प्राणी उसी से पैदा होते हैं और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाते हैं । ( यजुर्वेद ३२/८

10 जनवरी
2020
पुरुषार्थ और परोपकार के मार्ग पर चलें

समुद्र को कामना नहीं होती फिर भी अनेक नदियां उसमें आकर मिलती हैं । इसी प्रकार उद्योगी पुरुषों के पास लक्ष्मी सदैव रहती हैं । अर्थात् जो व्यक्ति उद्योगी है, मेहनती है, पुरुषार्थ करता है उन्हें धन का अभाव कभी नहीं होता । कहा भी गया है ‘उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनौरथैः । नहि

26 दिसम्बर
2019
पाप का मूल है क्रोध

क्रोधी व्यक्ति हमसे सदैव वैसे ही दूर रहें जैसे पक्षियों को उड़ा देने से वे बहुत दूर चले जाते हैं क्योंकि क्रोधी व्यक्ति के पास रहने से स्वभाव उल्टा हो जाता है और धर्म की हानि होती है । ( ऋग्वेद १/२५/४ ) काम, क्रोध और लोभ आत्मा का नाश करने वाले तीन शरीर के

3 दिसम्बर
2019
आलस्य के परित्याग से इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति सम्भव

जो जागृत हैं, आलस्य और प्रमाद से सदैव सावधान रहते हैं उन्हीं को इस संसार में ज्ञान विज्ञान प्राप्त होता है । उन्हीं को शान्ति मिलती है, वे ही महापुरुष कहलाते हैं । ( ऋग्वेद ५/४४/१४ ) जो व्यक्ति जागृत है वह हमेशा सतर्क रहता है । “उत्तिष्ठत जागृत प्राप्य बरान्निबोधत”, उठो, जागो और जब

9 अक्टूबर
2019
ईमानदारी और पुरुषार्थ से धन कमाओ

अपने व्यवसाय से खूब धन कमाओ और उसे उत्तम कार्यों में खर्च करो, इससे तुम्हारी यश, कीर्ति बढ़ेगी । (अथर्ववेद ३/२४/५) वेदों में धनोपार्जन की महत्ता को स्वीकार किया गया है । मनुष्य केवल अपने दोनों हाथों से एक ही कार्य न करें बल्कि समाज के अन्य वर्गों को भी सहयोग लेकर सैकड़ों हाथों से

19 सितम्बर
2019
निःस्वार्थ भाव से परोपकार करें

मनुष्य के जीवन में विपत्तियां, कठिनाईयां, विपरीत परिस्थितियां और कष्ट की घड़ियां आती ही रहती हैं । सुख-दुःख जीवन रथ के दो पहिए हैं । इनसे कभी डरना या घबराना नहीं चाहिए । कठिनाइयां मनुष्य को संघर्ष करने की शक्ति देती हैं और उसकी उन्नति में और आत्मिक विकास में सहायक होती है । (सामवेद-६५३

4 जुलाई
2019
आध्यात्मिक गुण है पवित्रता

हे परमात्मा ! मेरे हृदय में भक्तिभाव और कर्मण्यता का विकास हो । मुझे आरोग्य और खुशहाल जीवन प्राप्त हो । मुझे बाह्य और आंतरिक दोनों तरफ से पवित्र बनाइए । ( अथर्व वेद ६/१९/२ )

3 जुलाई
2019
उचित आहार-विहार और व्यवहार से दीर्घायु बनें

परमात्मा ने इस संसार में सभी को दीर्घायु बनाया है । लेकिन अनुचित आहार-विहार द्वारा अपने आयु को क्षय करता है आज का मानव । इसलिए नियम पूर्वक जीवन जीते हुए पूर्ण आयु प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है । ( ऋग्वेद १०/१८/६ )

3 जुलाई
2019
बड़ों को सम्मान देने वाला यशस्वी होता है ।

अपनी समृद्धि के विस्तार में किसी प्रकार का प्रमाद ( आलस्य ) मत करो । ज्ञान के विस्तार में, विद्याध्ययन करने में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए ।

3 जुलाई
2019
अलौकिक है परमात्मा की दिव्यता

परमात्मा अनादि है, जिनको जान लेने पर कुछ भी जानना शेष नहीं रह जाता है । इसी भावना को भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को माध्यम बनाकर कहा -“अर्जुन ! तुम मेरे परम प्रिय हो, मैं तुम्हारे हित के लिए कहता हूँ, सुनो “मेरे प्रगट होने को न देवता जानते है न महर्षि, क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं और महर्षियों का भी आदि हूँ ।