जन्मोत्सव

जन्मदिवस को वर्धपान दिवस भी कहते हैं । जन्मदिन प्रतिवर्ष आता है और चला जाता है । महत्वपूर्ण यह नहीं कि जन्मदिन आया और चला गया । बल्कि; महत्वपूर्ण यह है कि हमारे जन्मदिन पर हमने क्या कमाया और क्या गवाँया ।

जन्म-उत्सव को अपने "श्रीश", 'अनुराग' से ऐसा मनाओ।
अपनी सनातन-संस्कृति को, लुप्त होने से बचाओ।।

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हर साल कहने को तो हमारी उम्र बढ़ती है, लेकिन; हकीकत में हमारी उम्र घट रही है और हम इन उत्सवों को केक काटकर व मोमबत्ती बुझाकर मनाते हैं । उजालों की जगह अंधेरा फैलाने का संदेश तो हम स्वयं दे रहे हैं । आर्ष संतो की प्रसादी को छोड़कर पाश्चात्य की जूठन खाने की होड़ हो रही है । यह सनातन संस्कृति की परम्परा नहीं है । तो आइये, फिर कुछ ऐसा क्यों ना करें कि अपना जन्मदिन  यादगार बन जाए, साथ ही हमारे संस्कार बनें और उनमें दृढ़ता आये । वैदिक यात्रा गुरुकुल परिवार, वृन्दावन के तत्त्वावधान में आपके व अपनों के परिणायोत्सव पर दीर्घायुष्य, व्यापार वृद्धि व घर में सुख-शान्ति-समृद्धि के लिए वैदिक यात्रा गुरुकुल के ११ ब्रह्मचारी ऋषिकुमारों के द्वारा सप्तचिरञ्जीवि पूजन समेत श्रीमहामृत्युञ्जय स्तोत्र – २१, श्रीरामरक्षा स्तोत्र – २१, श्रीनारायणकवचम् – २१, श्रीहनुमान चालीसा – १११ तथा श्रीसङ्कटमोचन के ११ पाठ का सुन्दर आयोजन किया जाता है । जिसके उपरान्त ब्रह्मचारी पाठकगण श्रेयोदान करते हैं, जिसका फल सीधे यजमान को प्राप्त होता है । जिस प्रकार पोस्ट बॉक्स में पत्र डाल देने के बाद वह अपने गन्तव्य तक पहुँच जाता है, उसी प्रकार श्रेयोदान का फल यजमान प्राप्त करता है । साथ ही ब्रह्मचारी पाठकगणों के द्वारा किये गए पाठ की ध्वनि से उठने वाली तरङ्गों के साथ आपका सीधा प्रणाम श्रीबाँके-बिहारी के चरण-कमलों तक पहुँच जाता है । इसके साथ ही आपको आपके मोबाइल अथवा  ईमेल पर एक वीडियो प्रेषित की जाती है, जिसमें ऋषिकुमारों द्वारा वेदमंत्रों के उच्चारण के साथ शुभाशीर्वाद दिया जाता है । इस दिन के पौराणिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व  को समझते हुए गोरक्षा की भावना के साथ स्वशक्ति एवं स्वेच्छा के अनुसार ब्रज में गौ-माता की सेवा अवश्य करें । तो आइए, इस माध्यम से अपनी संस्कृति और संस्कारों को बचाइए । साथ ही अपनी अगली पीढ़ी को भी संपत्ति के साथ सनातन संस्कृति का वारिस बनाइये । अपनी प्राचीन आर्ष-परम्परा से वर्धापन दिवस मनाइए ।

जन्मोत्सव प्रति एक पाठ राशि – मात्र ३१००/- रू.

पाठ के साथ गुरुकुल के ऋषिकुमारों को मिष्ठान्न व गोमाता को गुड़ की सेवाराशि – मात्र ५१००/- रू.

पूजन व पाठ के साथ गरुकुल के ऋषिकुमारों के लिए प्रसाद तथा गोमाता को गुड़ की सेवा राशि – मात्र ११०००/- रू.

पूजन व पाठ के साथ गरुकुल में महाप्रसाद का आयोजन तथा गोमाता को गुड़ की सेवा राशि – मात्र २१०००/- रू.

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