स्वामी विवेकानंद का शिक्षा दर्शन

स्वामी विवेकानंद का शिक्षा दर्शन

ऋग्वेद के 5/5/2 में कहा गया है- “विद्वान् पुरुष” सत्य और ज्ञानके सदुपयोग से लोगो को सुखी बनायें, जैसे गाय अपने दूध से अपने पालक को सुखी बनाती है ।

स्वामी विवेकानंद का शिक्षा दर्शन उपनिषदों पर आधारित है । वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के आलोचक थे । उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि पुस्तकीय शिक्षा उपयोगी है । शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें चरित्र का निर्माण हो, मानसिक शक्ति में वृद्धि हो, वृद्धि का विस्तार हो और व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो । उनका मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति में आत्मा विद्यमान है । सभी ज्ञान और शक्तियां मनुष्य के भीतर हैं । मनुष्य की आत्मा से ही सम्पूर्ण ज्ञान आता है । यह वहीं प्रगट कर पाता है जो अपने अंदर देखता है ।

विद्यार्थियों के लिए स्वामी विवेकानंद ने अनेक महत्वपूर्ण सूत्र दिये है – “मन की एकाग्रता ही शिक्षा का यथार्थ सार है । प्रयोगशाला में वैज्ञानिक अपने मन की सभी शक्तियों को एकाग्र करके ही केन्द्र में स्थिर करता है । तत्वों पर लगता है उसे विश्लेषित करता है तब उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है । चाहे विद्वान् अध्यापक हो या मेधावी छात्र एवं अन्य कोई भी हो, यदि वह कोई ज्ञान चाहता है तो उसे नियमबद्ध होकर ही काम करना पड़ेगा ।

शिक्षा भौतिक प्रयोजन तो पूरा करती है । जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सुख, शांति का जीवन जीने के लिए व्यक्ति को ज्ञानवान, सदाचारी और कर्तव्य परायण भी होना चाहिए । यही वास्तविक विद्या है । ऋषियों ने विद्या और शिक्षा का दोनों काम अपने हाथों में लेकर सत्य और ज्ञान के सदुपयोग से लोगों के जीवन को ज्ञान और शांति के प्रकाश से आलोकित किया था ।

ऋषि और शिक्षक उसे कहते हैंं जो समाज के लोगों का दर्द समझता हो । सत्य और ज्ञान के उपदेश से समाज की विकृतियों को दूर करता है ।

शिक्षा मनुष्य के विकास की एक  महत्वपूर्ण प्रक्रिया है । इसका उद्देश्य मनुष्य का सर्वतोमुखी विकास करना है जिससे उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकसित हो । स्वामी विवेकानंद ने कहा था “जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन संग्राम के लिए समर्थ नहीं बना सकती, जो मनुष्य में चरित्रबल, परहित भावना और सिंह के समान साहस न पैदा करे, वह शिक्षा नहीं है । ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जिससे चरित्र निर्माण हो, व्यक्ति की मानसिक शक्ति बढ़ें और वह स्वामी विवेकानंद के साथ स्वावलंबी बने ।

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Vaidik Sutra