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20 जुलाई
2020
भजन करने की क्या अवस्था होनी चाहिए ?

प्रायः यह देखने या सुनने में आता है कि भगवान का भजन-स्मरण करना चाहिये । बात बिल्कुल ठीक है, पर फिर यह विचार भी आता है कि कब से करें ?? क्योंकि प्रायः लोगों के मन में यह भ्राँति होती है कि भगवान् का भजन-स्मरण अभी से क्या करना ? …….

27 जून
2020
सुख-शांति मिलती है “सत्कर्म” से कमाए हुए धन से

गृहस्थ लोग अपने पुरुषार्थ द्वारा परमात्मा की कृपा से धन बल का संचय कर सुख प्राप्त करें । धन शुचिता पूर्वक कमाना चाहिए जिसमें पवित्रता हो, बल हो लेकिन उस बल का प्रयोग किसी की रक्षा के लिए हो । ( अथर्ववेद ७/१७/१ )…..

6 अप्रैल
2020
मनुष्य जीवन की सार्थकता “आत्मज्ञान” में

आत्मज्ञान प्राप्त करना मानव जीवन का मूल लक्ष्य है । यह संसार कैसे बना ? पदार्थों का आदि कारण क्या है? शरीर और अस्थि, मांस और रक्त आदि की क्या विभिन्नता है और इन सब से आत्मा कैसे अलग है ? मनुष्य को इस सब का ज्ञान अवश्य प्राप्त करना चाहिए । ( ऋग्वेद १/१६४/४ ) …..

24 मार्च
2020
सन्मार्ग पर चलकर श्रेष्ठता पायें

अच्छे, बुरे सभी कर्म मनुष्य से ही होते हैं । दुर्बलता मनुष्य के लिए अज्ञानता का प्रतीक है । श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए आत्मबल प्राप्त करना चाहिए । यह तभी सम्भव है जब मनुष्य बुराइयों को त्यागकर सन्मार्ग पर चले । ( अथर्ववेद २/११/१ )…..

6 मार्च
2020
आत्मबल से मन को वश में करें

हमारे मन की शक्ति अनंत है ।वह सुप्त और जागृत अवस्था में भी हमेशा क्रियाशील रहता है । वह ज्योति स्वरूप है, समय व कुछ न कुछ सोचता और यहां-वहां भटकता रहता है । कभी भूतकाल की घटनाओं का चिंतन करता है और कभी भविष्य के कल्पनालोक में भ्रमण करता है । मन प्रतिक्षण किसी

Vaidik Sutra